परेशान थी पप्पू की वाईफ
नॉन-हप्पेनिंग थी जो उसकी लाईफ
पप्पू को ना मिलता था आराम
ऑफिस में करता काम ही काम
पप्पू के बॉस भी थे बड़े कूल
प्रमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नहीं थे वो डैडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ टिल नाईन
पप्पू भी बनना छठा था बेस्ट
इसलिए तो वो नहीं करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
अप्प्रेजल के उम्मीद में देता सलामी
दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया पप्पू का हाल
पप्पू को अब कुछ याद ना रहता था
गलती से बीवी को बेहेंजी कहता था
आखिर एक दिन पप्पू को समझ आया
और छोड़ दी उसने अप्प्रेजल की मोह माया
बॉस से बोला, "तुम क्यों सताते हो ?"
"अप्प्रेजल के लड्डू से बुद्दू बनाते हो"
"प्रमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"अप्प्रेजल देने पर भी वापिस ना आऊंगा"
बॉस हँस के बोला "नहीं कोई बात"
"अभी और भी पप्पुस है मेरे पास "
"यह दुनिया पप्पुओं से भरी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करूँगा"
"तुम्हारी तरह एक और पप्पू बनाऊंगा"
भेजने वाले : नरेंदर नेगी
Email Subscription | SMS Subscription Get free Email & SMS alert